बुधवार, 31 मई 2023

संकटमोचन हनुमानाष्टक ।। Hanumanastak II बाल समय रवि भक्षि लियो तब, तीनहुं लोक भयो अंधियारो ।


संकटमोचन हनुमानाष्टक ॥
बाल समय रवि भक्षि लियो तब,
तीनहुं लोक भयो अंधियारो ।
ताहि सों त्रास भयो जग को,
यह संकट काहु सो जात न टारो ।
देवन आनि करी बिनती तब,
छांड़ि दियो रवि कष्ट निवारो ।
को नहीं जानत है जग में कपि,
संकटमोचन नाम तिहारो ॥ १ ॥

बालि की त्रास कपीस बसै गिरि,
जात महाप्रभु पंथ निहारो ।
चौंकि महामुनि शाप दियो तब,
चाहिए कौन बिचार बिचारो ।
कै द्विज रूप लिवाय महाप्रभु,
सो तुम दास के सोक निवारो ॥

को नहीं जानत है जग में कपि,
संकटमोचन नाम तिहारो ॥ 2 ॥


अंगद के संग लेन गए सिय,
खोज कपीस यह बैन उचारो ।
जीवत ना बचिहौ हम सो जु,
बिना सुधि लाए इहाँ पगु धारो ।
हेरि थके तट सिन्धु सबै तब,
लाए सिया-सुधि प्रान उबारो ॥

को नहीं जानत है जग में कपि,
संकटमोचन नाम तिहारो ॥३॥

रावण त्रास दई सिय को तब,
राक्षसि सों कहि सोक निवारो ।
ताहि समय हनुमान महाप्रभु,
जाय महा रजनीचर मारो ।
चाहत सीय असोक सो आगि सु,
दै प्रभु मुद्रिका सोक निवारो ॥

को नहीं जानत है जग में कपि,
संकटमोचन नाम तिहारो ॥४॥

बाण लाग्यो उर लछिमन के तब,
प्रान तजे सुत रावन मारो ।
लै गृह बैद्य सुषेन समेत,
तबै गिरि द्रोण सु-बीर उपारो ।
आनि सजीवन हाथ दई तब,
लछिमन के तुम प्रान उबारो ॥

को नहीं जानत है जग में कपि,
संकटमोचन नाम तिहारो ॥५॥

रावन जुध्द अजान कियो तब,
नाग की फाँस सबै सिर डारो ।
श्रीरघुनाथ समेत सबै दल,
मोह भयो यह संकट भारो I
आनि खगेस तबै हनुमान जु,
बंधन काटि सुत्रास निवारो ॥

को नहीं जानत है जग में कपि,
संकटमोचन नाम तिहारो ॥६॥

बंधु समेत जबै अहिरावन,
लै रघुनाथ पाताल सिधारो ।
देवहिं पूजि भली विधि सों बलि,
देउ सबै मिलि मन्त्र विचारो ।
जाये सहाए भयो तब ही,
अहिरावन सैन्य समेत संहारो ॥

को नहीं जानत है जग में कपि,
संकटमोचन नाम तिहारो ॥७॥

काज किये बड़ देवन के तुम,
बीर महाप्रभु देखि बिचारो ।
कौन सो संकट मोर गरीब को,
जो तुमसे नहिं जात है टारो ।
बेगि हरो हनुमान महाप्रभु,
जो कछु संकट होए हमारो ॥

को नहीं जानत है जग में कपि,
संकटमोचन नाम तिहारो ॥८॥

॥ दोहा ॥
लाल देह लाली लसे,
अरु धरि लाल लंगूर ।
बज्र देह दानव दलन,
जय जय जय कपि सूर ॥

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