देवीस्मरण
सद्रत्नवन्मकरकुण्डलहारभूषाम् I
दिव्यायुधोर्जितसुनीलसहस्त्रहस्तां
रक्तोत्पलाभचरणां भवतीं परेशाम् ॥
'शरत्कालीन चन्द्रमाके समान उज्ज्वल आभावाली,
उत्तम रत्नोंसे जटित मकरकुण्डलों तथा हारोंसे
सुशोभित, दिव्यायुधोंसे दीप्त
सुन्दर नीले हजारों हाथोंवाली, लाल कमलकी
आभायुक्त चरणोंवाली भगवती दुर्गा देवीका मैं प्रातःकाल स्मरण करता हूँ।'
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