प्रमुख वैदिक शब्दावली (गूढ़ार्थ कोष)
अवस्था चार प्रकार की होती है- 1. जाग्रत 2. स्वप्न, 3. सुषुप्ति, 4. तुरीय ।
अविद्या - अज्ञानता
और ईश्वर की माया ।
आश्रम चार होते हैं
– 1. ब्रह्मचर्य, 2. गृहस्थ, 3.
वानप्रस्थ, 4. सन्यास |
उपदेश - 1. ऋग्वेद का आयुर्वेद, 2. सामवेद का गान्धर्ववेद,
3. यजुर्वेद का धनुर्वेद, 4. अथर्ववेद की शिल्पविद्या ।
सिद्धि - 1. अणिमा, 2. गरिमा 3. लघिमा 4. महिमा
5. प्राप्ति, 6. प्राकाम्य, 7. ईशित्व, 8. वशित्व ।
गुण - 1. सतोगुण, 2. तमोगुण, 3. रजोगुण ।
चतुरंगिनी - 1. हाथी, 2.
घोड़े, 3. रथ 4. पैदल
षटरस- 1. अम्ल, 2. तीखा, 3. मीठा, 4. खट्टा,
5. खारा, 6. कपला ।
सप्तर्षि - 1. वशिष्ठ, 2. अत्रि, 3. कश्यप 4. विश्वामित्र,
5. भरद्वाज, 6. जमदग्नि, 7. गौतम ।
पंचतत्व - 1. पृथ्वी, 2. वायु, 3. जल, 4. आकाश, 5. अग्नि
राम- 1. परशुराम, 2. बलराम, 3. रामचन्द्रजी ।
आकार- 1. पिंडज, 2. अंडज, 3. स्वदेश, 4. उद्भिज ।
ऋतु - 1. बसन्त 2. ग्रीष्म, 3. शरद, 4. हेमन्त
5. शिशिर, 6. वर्षा ।
त्रिताप - 1. आध्यात्मिक, 2. आधिभौतिक, 3. आधिदैविक
त्रिदेव - 1. ब्रह्मा 2. विष्णु, 3. महेश ।
योनि - ( 84 लाख) नौ लाख
जलचर, सत्ताईस लाख स्थावर, ग्यारह लाख कृमि,
दशलाख पक्षी, तेईस लाख चौपाये,
चार लाख मनुष्य ।
वेद- 1. ऋग्वेद, 2. यजुर्वेद, 3. सामवेद, 4. अथर्ववेद
सोलह श्रृंगार - 1. अंग शुचि,
2. मज्जन, 3. सुन्दर वस्त्र, 4. महावर,
5. केश संभालना 6. मांग में सिन्दूर, 7. ठोड़ी पर तिल
8. माथे में बिन्दी, 9. मेंहदी, 10. अरगजा लगाना,
11. आभूषण, 12. सुगन्ध, 13. मुख राग,
14. दंतराग, 15. अधर राग, 16. काजल लगाना ।
आभरण- 1. नूपुर, 2. चूड़ी, 3. हार, 4. कंकण,
5. अंगूठी, 6. बाजूबंद, 7. वेसर, 8. विछियाँ,
9. टीका, 10. शीशफूल, 11. तागड़ी, 12. कंठ श्री ।
चतुर्भेद– 1. साम, 2. दाम, 3. दंड, 4. भेद ।
युग - 1.
सत्ययुग, 2. त्रेतायुग, 3. द्वापरयुग, 4. कलियुग ।
चतुर्वर्ग - 1.
धर्म, 2. अर्थ, 3.
काम, 4.
मोक्ष
वर्ण- 1. ब्राह्मण, 2. क्षत्रिय,
3. वैश्य, 4. शूद्र ।
शत्रु- 1.
काम, 2. क्रोध, 3.
लोभ, 4.
मोह,
5. मद, 6.
मत्सर, 7. आलस्य ।
त्रिविध वायु - 1. शीतल, 2. मंद, 3.
सुगन्ध
भक्ति नौ हैं- 1. श्रवण, 2. कीर्तन, 3. पूजा, 4. प्रणाम,
5. चरण सेवा, 6. सुमिरण, 7. निवेदन, 8. दास्यभाव, 9. सखाभाव ।
मद - 1.
राजमद, 2. लक्ष्मीमद, 3. भजनमद, 4. ज्ञानमद,
5. विद्यामद, 6. सौन्दर्यमद, 7. यौवनमद 8. वंशमद, 9. जातिमद |
शास्त्र छः हैं - 1. सांख्य, 2. वेदान्त, 3. योग, 4. न्याय,
5. मीमांसा, 6. वैशेषिकः ।
पुराण अठारह (18) हैं-
1.
ब्रह्म, 2. पद्म, 3. विष्णु, 4. शिव, 5. भागवत,
6.
नारद, 7. मार्कण्डे 8. अग्नि, 9.
भविष्य, 10. ब्रह्मवैवर्त,
11.
लिंग, 12. वाराह, 13. स्कन्ध, 14. वामन 15. कूर्म,
16.
मत्स्य, 17. गरुड़, 18. ब्रह्माण्ड पुराण ।
इन अठारहों
पुराणों की श्लोक संख्या चार लाख है ।
अग्नित्रय - 1. दक्षिणाग्नि, 2. गार्हपत्य, 3. आहवनीय ।
पंचवायु- 1.
प्राण, 2. अपान, 3.
उदान, 4.
व्यान, 5. समान ।
अवस्था तीन हैं- 1. बालक, 2. युवा, 3.
वृद्ध ।
गुरु तीन हैं- 1. माता, 2.
पिता, 3.
आचार्य ।
विद्या- 1.
ब्रह्मज्ञान, 2. वेद, 3. वैद्यक, 4.
ज्योतिष, 5. व्याकरण,
6. जल में तैरना, 7. संगीत, 8. अश्वकी सवारी, 9.
कोकविद्या,
10. खेती, 11.
न्याय ।
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